जागर और जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने माँ नंदा को किया कैलाश विदा

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  • दशोली और बधांण क्षेत्र में 14 दिनों तक आयोजित होगी लोकजात यात्रा

चमोली: गढवाल और कुमाऊं की अधिष्ठात्री माँ नंदा की लोकजात यात्रा सोमवार को विधि विधान के साथ शुरु हो गई है। सोमवार को माँ नंदा की दशोली और बधांण की डोलियों को श्रद्धालुओं ने जागर और जयकारों के साथ समौण (सुहाग सामग्री) भेंट कैलाश के लिये विदा कर दिया है। अब देव डोलियां आगामी 14 दिनों तक दशोली और बधांण क्षेत्र के गांवों का भ्रमण कर नंदा सप्तमी के पर्व पर 3 सितम्बर को क्रमशः बालपाटा और वेदनी पहुंचेगी।
सिद्धपीठ कुरुड़ में तीन दिनों चले पूजा अनुष्ठान के बाद शाम करीब 3 बजे देव डोलियां श्रद्धालुओं के साथ कैलाश के लिये रवाना हुई। सिद्धपीठ से प्रस्थान कर को बधांण की माँ नंदा की डोली रात्रि प्रवास के लिये चरबंग और दशोली की डोली लुंणतरा गांव पहुंचेगी। वहीं डोलियों की विदाई के साथ ही कुरुड़ में आयोजित तीन दिवसीय मेला भी संपन्न हो गया है। मेले के समापन के मौके पर मेला समिति ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने वाले कलाकारों और टीमों को सम्मानित भी किया गया।

इस मौके पर मुख्य पुजारी पंडित मुंशी चंद्र गौड़, मंदिर समिति अध्यक्ष सुखवीर रौतेला, दीपक रतूड़ी, योगेश्वर प्रसाद, राजेश गौड़, आदि मौजूद थे।

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