ऋषिकेश: पिछले 20 सालों से चिकित्सा क्षेत्र में जनता की सेवा कर रहे डॉ. हरिओम प्रसाद और उनकी पत्नी ऋतु प्रसाद, दोनों ने मोहब्बत की एक बेहतरीन मिसाल कायम की है। कॉलेज के दिनों में हुए प्यार और इजहार के बाद आज उनकी शादी को 25 साल पूरे होने वाले हैं। लेकिन भी उनका प्यार वैसा ही है, जैसे 25 साल पहले था।
अपने इसी प्यार के किस्से को ऋषिकेश निवासी डॉ. हरिओम प्रसाद और उनकी धर्मपत्नी डॉक्टर ऋतु प्रसाद ने हमारा उत्तराखंड के पत्रकार मयंक ध्यानी के साथ साझा किया है।
डॉ. हरिओम प्रसाद बताते हैं कि वे सन 1994 में लखनऊ के केजीएमयू से एमबीबीएस करने के बाद आगरा पहुंचे। जहां उन्होंने सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज से एमएस की पढ़ाई शुरू की। इसी दौरान कुछ लड़कियां उनके अंडर में इंटरशिप करने आई। जिनमें से एक ऋतु गोयल भी थी। वे कहते हैं कि जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे ऋतु की सादगी और उनकी समझदारी उन्हें अपनी ओर खींचने लगी।
जब इमेरजेंसी वार्ड में हुआ प्यार का एहसास
फिर एक दिन उनकी ड्यूटी इमरजेंसी में लगी हुई थी, इस दौरान अचानक ऋतु का स्कूटी से एक्सीडेंट हो गया, जिसमें उनके नाक में चोट आ गई। जिसके बाद उनका भाई उन्हें इमरजेंसी में लेकर आया। डॉ. हरिओम प्रसाद बताते हैं कि यही वो दिन था, जब उन्हें घायल हुई ऋतु गोयल की ड्रसिंग करते-करते यह एहसास हुआ कि वह उन्हें प्यार करने लगे हैं। इसी दिन के बाद से हम दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गई और हम एक दूसरे को पसंद करने लगे।
इसके बाद ऋतु 1996 में आगे पढ़ाई करने इलाहाबाद स्थित मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज चली गई। प्रसाद बताते हैं कि ऋतु के जाने के बाद उन्हें लगना लगा कि वे ऋतु के बिना नहीं रह पा रहे हैं। उस समय मोबाइल, व्हाट्सएप आदि नहीं हुआ करता था। इसलिए अपने दिल की बात बताने वह एक दिन सीधे इलाहाबाद पहुंच गये। जहां उन्होंने एलचीको नाम के एक रेंस्त्रा में ऋतु को मिलने के लिए बुलाया।
इसी मुलाकात के दौरान डॉ. हरिओम प्रसाद ने ऋतु को शादी के लिए प्रपोज कर दिया। जिसे ऋतु ने तुरंत स्वीकार भी कर लिया। जिसके बाद दोनों 7 दिसंबर 1996 के दिन विवाह के बंधन में बंध गये।
25 साल बाद भी जवां है मोहब्बत
वहीं डॉ. ऋतु बताती हैं कि हैरी (डॉ. हरिओम प्रसाद को प्यार से बुलाते हुए) की हैंड राइंटिंग उन्हें बहुत अच्छी लगती थी। साथ ही हैरी का फ्रेंडली स्वभाव ही था, जो उन्हें हैरी के करीब लेकर आया था। आज हमारी शादी को 25 साल होने वाले हैं। इन सालों में उन्होंने हैरी के साथ बिताए हर एक पल को इंजॉए किया है। मैं मानती हूं कि जोड़ियां ऊपर से बनकर आती हैं, मेरी और हैरी की जोड़ी भी भगवान ने ही बनाकर भेजी है।
डॉ. हरिओम प्रसाद कहते हैं कि ऋतु को अपने जीवन में पाकर वे खुद को बेहद खुशकिस्मत मानते हैं। उन्होंने अपने मेडिकल प्रोफेशन और घऱ की जिम्मेदारियों को बखूबी ढंग से संभाला है।
युवाओं को संदेश
“मोहब्बत से बड़ी कोई चीज इस दुनिया में नहीं है। आज के युवाओं को समझना चाहिए कि वासना को प्यार नहीं कहते हैं। प्यार के लिए सामने वाले की सूरत नहीं बल्कि उसकी सीरत मायने रखती है”
डॉ. हरिओम और डॉ. ऋतु