आखिर क्यों पत्रकार दिनेश मानसेरा को छोड़ना पड़ा मुख्यमंत्री तीरथ के मीडिया सलाहकार का पद, सोशल मीडिया में छलका दर्द

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देहरादून: उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद से ही उनके प्रमुख मीडिया सलाहकार को लेकर कई नामों पर चर्चाएं चल रही थी। जिसके बाद 2 दिन पहले उन्होंने एनडीटीवी के पत्रकार दिनेश मानसेरा को अपने मीडिया सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। लेकिन आज बुधवार को अचानक सरकार द्वारा उनकी नियुक्ति को निरस्त कर या गया। वही इधर पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह को मुख्यमंत्री का मुख्य सलाहकार बनाया गया है। 

उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी मानसेरा को मुख्यमंत्री कार्यालय में मीडिया सलाहकार बनाये जाने के लेकर बीजेपी समर्थित लोग नाराज थे। जिसको लेकर सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के खिलाफ गुस्सा भी दिखा। माना जा रहा है कि इसी वजह से दिनेश मानसेरा की नियुक्ति नहीं हो पाई। जबकि पत्रकार दिनेश मानसेरा मुख्यमंत्री और संघ दोनों की पसंद बताए जाते हैं।

वहीं शत्रुघ्न सिंह प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं। इसके साथ ही वे अब तक प्रदेश में मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर तैनात थे। जिससे उन्होंने कल ही इस्तीफा दिया था।

वहीं कयास लगाए जा रहे हैं कि दिनेश मानसेरा को मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर तैनाती दी जा सकती है। दिनेश मानसेरा हल्द्वानी के निवासी हैं। वो लम्बे समय से वह पांचजन्य अखबार से जुड़े थे। फिलहाल वे उत्तराखंड में एनडीटीवी के लिए वरिष्ठ पत्रकार के तौर पर कार्य कर रहे हैं। बता दें कि उनके प्रमुख मीडिया सलाहकार बनने की खबर से प्रदेश के अधिकतर पत्रकारों में खुशी की लहर थी।

सोशल मीडिया में लिखी दिल की बात

वहीं दिनेश मानसेरा ने खुद ही अपने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रमुख मीडिया सलाहकार के पद को अस्वीकार करने की बात कही है।

मुझे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जी ने अपना मीडिया सलाहकार बनाया. सबकी दुआएँ मिली. जब मैं देहरादून पहुंचा तो उससे पहले ही सोशल मीडिया पर बहुत कुछ मेरे बारे में और मेरे परिवार के बारे में उछाला गया.

इस सबसे भी ज्यादा मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत के फैसले पर सवाल उठे. मेरी नियुक्ति के पीछे मेरी योग्यता, मेरा पत्रकारिता का अनुभव, मेरा स्वभाव-व्यवहार और मेरे द्वारा लोगो की भलाई ही आधार थी। यह सब ऐसे लोगो को रास नही आ रही जो मुझे पहचानते भी नहीं। इस सभी विषयों से सीएम साहब को भी कष्ट पहुंच रहा है।

मुझे बुलाने और अपनी टीम में रखने का निर्णय उनका ही था। मुझे आभास है कि वो सरल सज्जन व्यक्ति हैं। इसलिए मुझे यहां पदभार ग्रहण करने से पहले सभी विषयों पर सोचना समझना पड़ा। यही फैसला लिया है कि जब हम ऐसे लोगो से घिरे रहेंगे जोकि हमे काम ही करने नही देगे तो ऐसे माहौल में काम करने का कोई औचित्य नहीं।

मुझे पद लालसा कभी नही रही। ये मेरे करीबी सब जानते है। मान सम्मान सबका जरूरी है जोकि कायम रहना चाहिए। मैं स्पष्ट मानता हूं कि जब तक कार्य संस्कृति न हो वहां सब बेमानी है। सबकी गरिमा बनी रहे इसलिए मैं इस पद को अस्वीकार करता हूँ।

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