वनों के संरक्षण के लिये वनाग्नि बड़ी चुनौती : भट्ट

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गोपेश्वर : एक दौर में हमने अपने सामूहिक प्रयासों से जंगल कटने से बचाये थे। वहीं आज हमारे समक्ष वनाग्नि से धधकते जंगलो को बचाने की चुनौती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए मातशक्ति के साथ ही युवाओं को आगे आना ही होगा। वन ही हमारे अस्तित्व के आधार है। यह बात पर्यावरणविद चंडीप्रसाद भट्ट ने पर्यावरण संरक्षण गोष्ठी के दौरान कही।

दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल की बछेर संसाधन केंद्र में गोष्ठी आयोजित की गई। इस दौरान चंडी प्रसाद भट्ट ने चिपको आंदोलन के दौरान के संस्मरणो को साझा करते हुए कहा कि आज से ठीक 50 वर्ष पूर्व हिमालय के इस अंतर्वती क्षेत्र से  वनों को बचाने के लिए निकले चिपको के संदेश ने न केवल राष्ट्रिय स्तर बल्कि अंतरास्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। तब मातृ शक्ति ने अपने सांगठनिक प्रयासों से जंगलो को कटने से बचाया था। अब हमारे समक्ष जंगलों को आग से बचाने की चुनौती है। जिससे हमअपने सामूहिक प्रयासों से ही पार पा सकते हैं। इसमें हर ब्यक्ति तथा युवा को प्रकृति के प्रति अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए मातृ शक्ति के साथ आना होगा। हिमालय के जंगल सुरक्षित रहेंगे तो ही संपूर्ण देश का पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

इस अवसर पर गोष्ठी को संबोधित करते हुए सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने बताया की न्यास द्वारा वनग्नि से जंगलो को बचाने के लिए दो चरणों मे पद यात्राएं की गयी थी जिसका धरातल पर सकारत्मक परिणाम  दिख रहे हैं। यात्रा पथ के गांवों में वनाग्नि की घटनाओं  नही हुई  तथा कई गाँवों में ग्रामीणों द्वारा अपने सामूहिक प्रयासों से इन पर तुरंत काबू कर लिया गया। इसी दौरान उनके द्वारा वनाग्नि पर अध्यन्न रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई।

गोष्ठी में भुवनेश भट्ट ( नवीन एवं नवीनीकृत ऊर्जा मन्त्रालय भारत सरकार से सेवानिवृत्त सलाहकार )ने कहा की वनाग्नि के कारणों तथा उसके निराकरण के उपायो पर विस्तृत रूप से शोध कार्य होने चाहिए जिससे निकट भाविष्य मे वनग्नि की कोई भी घटना न होने पाये। इस अवसर पर जहाँ बछेर की पूर्व सरपंच रेखा असवाल, शंकुन्तला देवी तथा किलोंडि की महिला मंगल दल अध्यक्षा पुष्पा देवी ने अपने स्वरचित गीतों तथा कविता के माध्यम से सभी से जंगलो को बचाने का आवाहन किया। वही टेढ़ा खंसाल की ममंद की अध्यक्षा टिना देवी ने बताया की उनके गाँव के जंगलो में सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र तथा महिलाओं की सजगता से विगत तीन वर्षों से  आगजनी की कोई भी घटना नही हुई है।

गोष्ठी में रघुवीर सिंह बर्तवाल, अब्बल सिंह, हैरिटेज ऑफ गढ़वाल हिमालय के प्रदीप सिंह फर्सवाँण, शिक्षक शांति थप्लियाल, सतेंद्र सिंह,मोहित सिंह,अजीत सिंह,पुष्पा देवी, मंदोदरी देवी, सुमन देवी, कीर्ति देवी, पूनम भट्ट, लीला कोठियाल, रेखा देवी, शशि देवी, चंद्रकला देवी, रामेश्वरी देवी, सौम्या, सरिता देवी सहित क्षेत्र के कई स्वयं सेवी पर्यावरण कार्यकर्ता तथा समाज सेवी मौजूद थे। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन विनय सेमवाल ने किया।

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