टिहरी: देवभूमि उत्तराखंड में टिहरी जनपद की बालगंगा घाटी कई सिद्धपीठों और मनोहारी रमणीक स्थलों के लिए विख्यात है। टिहरी गढ़वाल में घनसाली से 30 किमी दूर सुरम्य प्रकृति की गोद विनकखाल में दिव्य व अलौकिक पहाड़ी पर स्थित माँ ज्वालामुखी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। मंदिर का इतिहास पौराणिक गौरवमय सभ्यता के साथ जुड़ा हुआ है, यहां विराजमान भगवती सबके मनोरथ सिद्ध करने वाली है।
बता दें कि इस मंदिर में प्रतिवर्ष चैत्रमाह में माँ ज्वालामुखी का भव्य दिव्य मेला लगता है। सदियों से मंदिर में माँ की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्र के मौके पर यहां हजारों भक्त देश विदेश से माँ का आशीर्वाद लेने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से माँ की आराधना करता है,उसकी मनोकामना माँ जरूर पूरी करती हैं। कुंवारी लड़कियां कलश लेकर यात्रा में शामिल होती हैं। माँ ज्वालामुखी की प्रतिमा को देख ऐसा प्रतीत होता है मानो वह आकाश में विराजमान हो और अपने भक्तों को दर्शन दे रही हों। भक्तों की ये लंबी कतारें बताने के लिए काफी है कि माँ में भक्तों की कितनी आस्था है।
माँ ज्वालामुखी मंदिर प्रांगण से भगवान बूढ़ाकेदारनाथ धाम भी दिखाई देता है। भक्ति भाव से माँ के जयकारे लगाते भक्त बूढ़ा केदारनाथ मंदिर से माँ के दर्शनों के लिए यात्रा करते हैं। इस यात्रा के दौरान बीच में आने वाले विभिन्न गांवों -थाती,बूढ़ाकेदार,चॉनी,तिसिरियाड़ा, भिगुन सौंला,कुन्डियाली के हजारों ग्रामीण जुड़ते चले जाते हैं।
प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि के इस मेले में महाभंडारे का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष अष्टमी तिथि यानी दिनांक 16 अप्रैल 2024 को माँ ज्वालामुखी मंदिर में आयोजित मेले में शीर्ष सामाजिक कार्यकर्ता और पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र दत्त सेमवाल द्वारा 35वें विशाल महाभंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
सेमवाल परिवार की यह पंरपरा रही है और वह दशकों से यहां भंडारा करवाते हैं।