देहरादून: उत्तराखंड विशिष्ट भौगोलिक संरचना होने के कारण आए दिन किसी न किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार होते रहता है. इसकी वजह से राज्य और वहां रहने वाले नागरिकों को जनधन की हानी से निबटना पड़ता है. जिसमें काफी समय और धन लग जाता है. यद्यपि प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना असंभव है, फिर भी पूर्व तैयारी, बचाव, राहत कार्य, पुनर्वास आदि के द्वारा इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से हुए एक सम्मेलन में राज्य के मुख्यमंत्री ने इससे निबटने के उपाय बताए हैं.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित आपदा प्रबंधन में उन्नत तकनीकों के उपयोग पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड में आपदाओं से निपटने का एक ही उपाय है आपदा से पहले ही उसकी तैयारी कर लें, जिससे हम इससे होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं.
आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य में मुख्य तौर पर भूकम्प, भूस्खलन, अतिवृष्टि, बादल फटना, बाढ़ और हिमपात के वक्त हिमखंड़ों का गिरना आदि प्राकृतिक आपदाएं आते रहती हैं. ये आपदाएं प्राय: दूसरे से संब्धित होती हैं. कम्प से भूस्खलन से बाढ़, अतिवृष्टि से भूस्खलन से बाढ़, भूस्खलन से बाढ़, बाढ़ से भूस्खलन आदि. वैसे ही बरसात के मौसम में अचानक किसी क्षेत्र अधिक वर्षा या बादल फटने से हर साल राज्य को व्यापक जन-धन की हानि का सामना करना पड़ता है. अतिवृष्टि से भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं सिलसिला शुरू हो जाता है.