ऋषिकेश: इन दिनों शहर में एक हरे भरे आम के बगीचे को अवैध रूप से काटकर उसे रिहायशी बनाने की चर्चाएं जोरों शोरों से चल रही है. आरोप है कि कई हरे पेड़ों को सूखाने के लिए भू-माफियों ने पेड़ों की जड़ों में सफेद पाउडर तक डाल दिया है. स्थानीय लोगों की जागरूकता पर यह मामला सामने आया है. लेकिन अबतक कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिससे माफियाओं के हौसले बुलंद हैं.
मामला ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र स्थित गढ़ी श्यामपुर का है, जहां कई बीघा भूमि पर आम का बगीचा फैला है. इसी बगीचे से आम के हरे पड़ों को सूखाकर काटने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मामले को लेकर कुछ जनप्रतिनिधियों और स्थानिय लोगों द्वारा लगातार यह मुद्दा उठाया जा रहा है, लेकिन अफसोस अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है.
श्यामपुर के उपप्रधान अमित बताते हैं कि कुछ दिनों पहले उन्हें सूचना मिली थी कि बगीचे के पेड़ों से भरा ट्रक लोड होकर भेजा जा रहा था. जिसके बाद मौके पर पहुंचकर ट्रक को रोका गया. साथ ही इस बाबद वन विभाग के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि जब उनके और स्थानियों लोगों द्वारा बगीचे में भीतर जाकर देखा गया तो कहानी खुलकर सामने आ गई.
पेड़ों की जड़ों में डाला गया है केमिकल
आरोप है कि आम के हरे पेड़ों को सुखाने के लिए उसकी जड़ को आधा काटा गया है, साथ ही उसमें यूरिया, सफेद चूना आदि डालकर ऊपर से मिट्टी से ढक दिया गया है. जिससे हरे-भरे पेड़ जल्दी सूख जाएं और उन्हें आंधी से गिरा हुआ दिखाया जा सके. उन्होंने आरोप लगाया कि इस बगीचे में लगभग 70 आम के वृक्ष हैं, जिनमें से 7-8 हरे वृक्षों को सूखाकर अवैध रूप से काट दिया गया है.
उन्होंने कहा कि जितने पेड़ों को इस बगीचे से काटा गया है, नियम अनुसार उससे दुगने पेड़ों का इस बगीचे में पौधारोपण किया जाए. साथ ही संबंधित अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित किया जाए कि अब भविष्य में इन पेड़ों को ना काटा जाए.
पहले भी हो चुका है हरे पेड़ों को काटने का खेल
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ साल पहले इसी बगीचे के एक बड़े हिस्से को काटकर प्लॉटिंग कर दी गई थी. लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया.
आशंका जताई जा रही है कि कागजों में इस बगीचे को जमीन के सौदागरों द्वारा ग्राहकों को ऊंचे दामों में बेचा जा रहा है. जिसके लिए इन हरे आम के पेड़ों को अवैध रूप से सूखाकर काटने की तैयारी जोरों पर है. वहीं इस मामले में शहर के कई दूसरे सफेधपोश लोगों के नाम भी सामने आ रहे हैं.
धरने की दी चेतावनी
वहीं स्थानीय जनता ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भू – माफिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आते हैं और अधिकारी इस मामले में मूक दर्शक बने रहते हैं तो वे लोग इस मामले को लेकर धरने पर बैठने को मजबूर होंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह से यहां पर बेखौफ होकर रातों-रातों पेड़ काटे जा रहे हैं, उससे वन विभाग की साख भी दाव पर लग रही है.
वहीं मामले में ऋषिकेश वनक्षेत्राधिकारी महेंद्र सिंह रावत का कहना है कि वृक्ष संरक्षण अधिनियम-1976 के तहत बिना अनुमति के हरे पेड़ों को काटना अपराध की क्षेणी में आता है. उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है, जल्द ही इस पर जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.