रुद्रप्रयाग: ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आज सोमवार को प्रातः 5 बजे विधि-विधान से पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के बाद खोल दिए गए. मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली पूजा की गई। वहीं केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल की ओर से धाम में ऑनलाइन पूजा की गई।
आज सुबह केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग और मंदिर के मुख्य पुजारी बागेश लिंग एवं प्रशासन की मौजूदगी में मंदिर के कपाट खोले गए। भक्तों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है। इस दौरान मंदिर परिसर में तीर्थ पुरोहित, पंडा समाज और हकहककूधारियों की उपस्थित रही। हालांकि पिछले साल की तरह इस बार भी कोरोना वायरस के चलते श्रद्धालु उपस्थित नहीं रह पाए.
मुख्यमंत्री ने दिया संदेश
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए घरों में ही रह कर पूजा अर्चना करने की अपील की है।
तीरथ सिंह रावत ने लिखा कि ”केदारनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) आदरणीय श्री भीमाशंकर लिंगम् जी की अगुवाई में तीर्थ पुरोहित सीमित संख्या में मंदिर में बाबा केदार की पूजा-अर्चना नियमित रूप से करेंगे. मेरा अनुरोध है कि महामारी के इस दौर में श्रद्धालु घर में रहकर ही पूजा-पाठ और धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करें.”
6 महीनों में देवता करतें हैं शिव की पूजा
बताया जाता है कि मंदिर के कपाट बंद करते समय एक दीप प्रज्वलित कर किया जाता है और फिर 6 महीने बाद जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तब यह दीप जलता हुआ मिलता है। मान्यता है कि इन 6 महीनों में देवतागण केदारधाम में शिवजी की पूजा करते हैं और इस दीपक को जलाए रखते हैं। कपाट खुलने के बाद इस प्रज्वलित दीप के दर्शन करना बहुत पुण्यदायी माना गया है।
कल खुलेंगे बद्रीविशाल के कपाट
बता दें कि कल यानि मंगलवार 18 मई को चमोली में स्थित भगवान बदरीनाथ के कपाट भी सुबह सवा चार बजे ब्रह्ममुहूर्त में खुल जाएंगे. कोविड के कारण यहां भी श्रद्धालुओं को आने की अनुमति नहीं होगी.
कोविड के संबंध में उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी एसओपी के अनुसार, विधि विधान और पूजा अर्चना के साथ केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट खोले जाने के दौरान वहां तीर्थ पुरोहितों, देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के पदाधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों समेत केवल 25 लोग ही उपस्थित रहेंगे.