ऋषिकेश: इस कोरोना संक्रमण काल में भी जनप्रतिनिधी फीता काटने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसका खामियाजा जनता को परेशानी के रुप में भुगतना पड़ रहा है। यही नज़ारा आज ऋषिकेश में टीकाकरण स्थल पर दिखा। जहां जैसे ही उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष औऱ ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद अग्रवाल शुभारंभ करने पहुंचे तो जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। इसके बाद लोगों द्वारा हाय-हाय और मुर्दाबाद के नारे लगाए गए।
दरअसल, ऋषिकेश में 18 से 44 साल के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत की गई। जिसके लिए सुबह आठ बजे से ही लोग देहरादून रोड स्थित एक माध्यमिक स्कूल पहुंच गये थे। लेकिन सुबह करीब 11 बजे विधानसभा अध्यक्ष के आने के बाद ही टीकाकरण शुरू हो सका। जिसके चलते विधानसभा अध्यक्ष औऱ स्थानीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ लोग खासा नाराज दिखे।
लगे हाय हाय और मुर्दाबाद के नारे
विस अध्यक्ष के विद्यालय परिसर में आते ही लोगों ने वापस जाओ-वापस जाओ के नारे लगाने शुरू कर दिये। इसी बीच विस अध्यक्ष द्वारा टीकाकरण कमरे में जाकर टीकाकरण का शुभारंभ किया गया। जिसके बाद ही लोगो को टीकाकरण लगाने की शुरुआत की जा सकी। वहीं इसके बाद भी लोगों ने विधायक के खिलाफ हाय हाय और मुर्दाबाद के नारे लगाए। वहीं कुछ लोगों ने आगामी चुनाव में देख लेने की भी बात कही।
जब एक महिला का फूटा गुस्सा
इसी दौरान नाराज एक महिला ने विधानसभा अध्यक्ष को काफी खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने विस अध्यक्ष को शर्म से डूब जाने तक के लिए कहा। महिला ने कहा कि जनता यहां तीन घंटे से टीका लगवाने के लिए खड़ी है,लेकिन विधानसभा अध्यक्ष की लेट लतीफी के कारण जनता का टीकाकरण समय से शुरू नहीं हो पाया।
वहीं मामले में पूर्व विधायक शूरवीर सिंह सजवाण ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल अपना धैर्य खो चुके हैं। जिस जनता ने उन्हें तीन बार वोट देकर जिताया, उसी जनता को वे परेशान कर रहे हैं। इससे पता चलता है कि इस समय उनका अहंकार सातवें आसमान पर आ चुका है। उन्होंने कहा कि कोविड के ऐसे संवेदनशील समय में श्रेय लेने की मानसिकता गलत है।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि साढ़े दस बजे मुख्यमंत्री द्वारा देहरादून में टीकाकरण शुरू करना था, जिसके बाद ही पूरे प्रदेश में टीकाकरण शुरू होना था। उन्होंने कहा कि टीकाकरण सुबह 11 बजे से ही शुरू होना था और वे समय पर टीकाकरण स्थल पर आ चुके हैं। जनता के विरोध करने पर उन्होंने कहा कि एक दो लोग हैं, जो इस तरह का काम करते रहते हैं। वे लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं।
हालांकि हमें सोचना होगा कि इस महामारी के समय जब हर कोई जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। ऐसे समय में नेताओं द्वारा अस्पताल,दवाइयां और टीकाकरण जैसे अति आवश्कत चीजों को लेकर भी श्रेय लेने की होड़ कितनी खतरनाक हो सकती है। अब सवाल है कि क्या यह केवल राजनीतिक मजबूरी है या फिर राजनीतिक परंपरा और क्या इसे अब बदला नहीं जाना चाहिए।