हरिद्वार: गंगोत्री धाम से 800 लीटर के कलश में गंगा जल भरकर नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर तक कलश यात्रा निकाली जा रही है. यह गंगा कलश यात्रा बुधवार को हरिद्वार के मनसा देवी चरण पादुका पहुंची. जहां विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर के लिए रवाना हो गई है. इस श्रीगंगा कलश यात्रा का अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी और अन्य संतो की ओर से ढोल–नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया.
गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश महाराज ने बताया कि गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद हर साल गंगा जल से भरा कलश उत्तरकाशी, टिहरी, ऋषिकेश, हरिद्वार, मुरादाबाद के रास्ते नेपाल पशुपतिनाथ मंदिर पहुंचाया जाता है.
जानें पौराणिक मान्यता
दरअसल पौराणिक काल से परंपरा है कि पशुपति नाथ में गंगा जल से पूरे साल भर जलाभिषेक होता है. जिसके लिए हर वर्ष गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर लक्ष्मी पूजन के दिन कलश की मदद से जल पशुपति नाथ के लिए रवाना किया जाता है, लेकिन इस बार एक बड़े कलश का सृजन कर 800 लीटर गंगा जल पशुपति नाथ के लिए कलश यात्रा की मदद से रवाना किया गया है. ताकि पूरे वर्ष पर्याप्त गंगा जल से पशुपति नाथ का जलाभिषेक किया जा सके.
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास
बता दें कि नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का शिवलिंग काफी प्राचीन है. माना जाता है कि यह वेद लिखे जाने के पहले से ही विद्यमान है. हालांकि यहां पर मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था. यहां की स्थित पशुपतिनाथ की प्रतिमा पंचमुखी है. इसकी गिनती ज्योतिर्लिंगों में की जाती है. कहा जाता है की केदारनाथ ज्योतिर्लिंग और पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मिलकर एक पूर्ण ज्योतिर्लिंग बनते हैं.