देहरादून: उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक जीत सिंह नेगी दुनिया को निधन हो गया है. जीत सिंह नेगी उत्तराखंड के ऐसे पहले कलाकार हुए जिन्होंने गढ़वाली गीत-संगीत को रिकॉर्डिंग स्टुडियो तक पहुंचाया. 1949 में उनका पहला ग्रामोफोन रिकॉर्ड हुआ था. इस तरह से कहें तो उत्तराखंड में गीत-संगीत की जो इंडस्ट्री है,उसकी बुनियाद जीत सिंह नेगी ने डाली थी.
1925 में पौड़ी जिले के अयाल गांव में जन्मे जीत सिंह नेगी ने एक नहीं कई विधाओं में रचनात्मकता का परिचय दिया. वे लोक कलाकार भी थे और रंगकर्मी भी. माधो सिंह भंडारी, रामी बौराणी, जीतू बगड़्वाल सहित अनेक कथाओं को उन्होंने रंगमंच में जीवंत किया.
तू होली ऊंची डांड्यों म वीरा धस्यारी का भेष मा, खुद मा तेरी सड़क्यों पर रोणु छों परदेश मा…जीत सिंह नेगी का यह गीत उनके खुदेड़ गीतों की पहचान भी बन गया था. मुंबई में रचा गया यह गीत बाद में नरेंद्र सिंह नेगी ने भी गुनगुनाया. देहरादून के धर्मपुर में रह रहे जीत सिंह नेगी अचानक ही रविवार सुबह सबको अलविदा कह गए. बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से बीमार भी चल रहे थे. इस खबर के बाद से पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर है.
उन्होंने सात दशक तक संगीत की सेवा की है. उन्होंने आकाशवाणी से कई लोकप्रिय गीत भी गाये. जीत सिंह नेगी के भूले बिसरे गीतों को बाद में नरेंद्र सिंह नेगी ने भी स्वर देकर एक कैसेट में पिरोया है.