उत्तराखंड शहीद स्मारक पर चली JCB , स्व. इंद्रमणि बडोनी ने किया था शिलान्यास

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ऋषिकेश: हरिद्वार ऋषिकेश नेशनल हाइवे पर इन दिनों अतिक्रमण ध्वस्त किया जा रहा है। जिसके चलते 21 साल पुराने इंद्रमणी बड़ोनी शहीद स्मारक पर भी पीला पंजा चलाया गया। जिसका सैकड़ों राज्य आंदोलनकारियों ने जमकर विरोध किया। लेकिन प्रशासन द्वारा कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों की स्मृति में बनाए गया स्मारक जमींदोज कर दिया गया।

ऋषिकेश स्थित उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीद स्मारक टूटता हुआ

इस दौरान उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड के शहीदों को याद रखने के लिए उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणी बड़ोनी के नाम से यह शहीद स्मारक बनाया गया था। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर शहीद स्मारक को तोड़ना सही नहीं है। इसके लिए राज्य आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी से भी बात की थी। जिसमें उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा था कि शहीद स्मारक को नहीं छेड़ा जाएगा। हालांकि स्मारक के टूटने की स्थिति में उन्होंने हमसे शहीद स्मारक दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए विकल्प पूछे गये थे।

जिसके जवाब में राज्य आंदोलनकारियों ने चार चयनित जगहें बताई थी, जहां शहीद स्मारक को शिफ्त किया जा सकता है। जिनमें पहली नगर निगम में इंद्रमणि बडोनी हॉल, दूसरी तहसील में एसडीएम ऑफिस के ठीक सामने खाली प्लॉट में,तीसरा पीडब्लयू परिसर में और चौथी जगह आईएसबीटी में शहीद स्मारक बनाने की मांग की गई है।

उन्होंने कहा कि इन चारों जगहों में से किसी एक जगह शासन-प्रशासन हमें जल्द से जल्द शहीद स्मारक बना कर दे, अगर ऐसा नहीं हुआ तो यह शहीदों और राज्य आंदोलनकारियों का अपमान होगा, जिसे उत्तराखंड की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

स्मारक का इतिहास

बता दें कि 23- 10- 1998 को उत्तराखंड आंदोलनकारी का नेतृत्व करने वाले इंद्रमणी बडोनी द्वारा इस शहीद स्मारक का शिलान्यास किया गया था। जिसके बाद 1999 में यह स्मरक बनकर तैयार हुआ। इस स्मारक में कुल 34 शहीदों के नाम शिला में दर्ज थे।। साथ ही उनकी तस्वीरें भी लगाई गई थी। समय-समय पर राज्य आंदोलनकारियों द्वारा इस स्मारक भवन में राज्य आंदोलनकारियों के सपनों और वर्तमान परिस्थितियों पर चर्चाएं होती रहती थी। स्मारक की जमीन महंत द्वारा दी गई थी और स्मारक का निर्माण डॉ. आरके गुप्ता द्वारा तैयार करवया गया था।

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