रामनगर: रामनगर वन प्रभाग में वन विभाग को गुरुवार देर रात बड़ी कामयाबी हांसिल हुई है. यहां विभाग की टीम ने एक गुलदार को सुरक्षित रेस्क्यू किया है. यह एक मादा गुलदार थी जो तारों में फंस गई थी. इसके साथ ही टीम ने इसके खिलाफ वन अपराध के तहत केस भी दर्ज किया है. वहीं, मामले में वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है. मादा गुलदार को हल्द्वानी रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर भेजा जा रहा है.
बता दें कि देर शाम रामनगर वन प्रभाग के कोटा रेंज के ओखलडूंगा राजस्व भूमि पर गश्त के दौरान वन रक्षक मनोज लुधियाल को गुलदार के झाड़ियों में फंसे होने की सूचना मिली थी. जिसके बाद वन रक्षक ने इसकी जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी. जिसके बाद एसडीओ पूनम कैंथोला, रेंज अधिकारी रमेश चंद्र ध्यानी वन कर्मचारियों के साथ मौके पर पहुंचे और गुलदार का रेस्क्यू करने का काम शुरू किया गया.
झाड़ियों में फंसी मिली थी मादा गुलदार
इस दौरान गुलदार का पैर किसी तार नुमे फंदे में फंस गया था. आशंका जताई जा रही है कि तार फंदे के रूप में किसी लकड़ी से बंधा होगा. जब गुलदार ने पैरों से फंसे फंदे को हटाने की कोशिश की होगी तो वह नहीं छूटा होगा, जिसके बाद गुलदार के जोर लगाने पर वो लकड़ी का खूंटा उखड़ गया होगा. और गुलदार उस तार से बधे लकड़ी को भी घसीटता हुआ भागने लगा होगा. इसके बाद एक झाड़ी में लकड़ी की वजह से फंस गया.
वन विभाग द्वारा की जाएगी मामले की जांच
आज गुलदार को हल्द्वानी के रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर भेजा जा रहा है. वन प्रभाग रामनगर अब जांच करने जा रहा है कि वो तार का फंदा ओखलडूंगा क्षेत्र में राजस्व भूमि पर क्यों और किस लिए लगाया गया था? वन प्रभाग रामनगर की एसडीओ पूनम कैंथोला ने बताया कल देर शाम हमें सूचना मिली कि कोटा रेंज के ओखलडूंगा ग्रामसभा की राजस्व भूमि पर झाड़ियों में एक गुलदार फंसा हुआ है. जिसे बिना ट्रेंकुलाइज किए हुए रेस्क्यू करना संभव नही था.
संबंधित लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया केस
उन्होंने बताया कि देर रात हमारे वन प्रभाग रामनगर की टीम के साथ ही डॉक्टरों की टीम ने सकुशल गुलदार को रेस्क्यू किया, जो अब स्वस्थ है. उन्होंने बताया गुलदार तार में उलझा हुआ था. गुलदार क्यों और कैसे उलझ गया? ये सब इन्वेस्टिगेशन का पार्ट है. संबंधित लोगों के खिलाफ वन अपराध के तहत केस भी दर्ज किया जा रहा है. मामले की जांच की जा रही है. रेस्क्यू की गई गुलदार फीमेल थी, जिसकी उम्र दो से तीन वर्ष बताई जा रही है.