बड़ी खबर: पहाड़ों की सेहत बिगाड़ रहा दिल्ली का प्रदूषण, विशेषज्ञों ने जताई चिंता, कहा- इससे उभरने के लिए सभी को साथ आने की जरूरत

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गढ़वाल: पूरे देश में उत्तराखंड को एक ओर देवभूमि के नाम से जाना जाता है तो वहीं दूसरी ओर वादियों की प्राकृतिक सुंदरता में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है. लेकिन, शायद अब सुकुन देने वाली यह वादियों को किसी की नजर लग गई है. दिल्ली का जहर अब उत्तराखंड की वादियों में घुलने लगा है. साफ सुथरी आबो हवा, सुंदर पहाड़ियों और प्राकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड अब दूषित होने लगा है.

दरअसल उत्तराखंड में मैदानी से बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन पहाड़ी वादियों में पहुंच रहा है. हालत ये है कि पोस्ट मॉनसून और सर्दियों में प्रदूषण 15 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर पहुंच गया है. दिल्ली से बड़ी मात्रा में डस्ट पार्टिकल (धूल के कण) प्रदेश के पहाड़ी हिस्से तक आ गए हैं. इसको लेकर वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जाहिर की है. वहीं इस गंभीर समस्या के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले पर सभी राज्यों को मिलकर काम करना होगा. तभी हम वादियों को जहरीली हवाओं से सुरक्षित रख पाएंगे.

वैज्ञानिकों ने जताई गहरी चिंता

इस समस्या को लेकर हाल ही में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में एयर पॉल्यूशन पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में पहुंचे आईआईटीएम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि हाल ही में उनके पास जो डाटा आया है उसके मुताबिक, उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन दिल्ली से हवा के जरिए पहाड़ों में पहुंच रहा है.

उन्होंने बताया कि इसकी मात्रा 15 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर क्यूब मापी गयी है. यही प्रदूषण मॉनसून से पहले 4.5 से 5 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर था. यानी की मॉनसून के बाद 3 गुना ज्यादा बढ़ा है. यह आंकड़ा 2022 अक्टूबर महीने का है. इसके पीछे दिल्ली में पराली का जलना, वाहनों से निकला प्रदूषण बड़ी वजह है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर सभी सरकारों को एक साथ मिलकर नीतियां बनानी होंगी, वरना भविष्य के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं.

जानें किन इलाकों में ज्यादा फैल रहा प्रदूषण

वहीं, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी परामर्शदाता प्रशांत पांडेय का कहना है कि कुछ वर्षों में किए गए कार्यों के चलते प्रदेश में प्रदूषण कम हुआ है. इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 2019 में देहरादून में प्रदूषण 166 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर क्यूब पहुंच गया था, जो अब 2022 में 17 से 20 प्रतिशत घटा है.

उन्होंने आगे कहा कि इसी तरह हरिद्वार और ऋषिकेश में भी प्रदूषण में कमी देखी गई है. जबकि, काशीपुर में इंडस्ट्रियल एरिया होने के बाद भी प्रदूषण हल्का घटा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर कार्य करके प्रदूषण को रोकने की कोशिश कर रहा है. कोशिश है कि PM10, PM2.5 के साथ-साथ सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड को बढ़ने ना दिया जाए.

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