ऋषिकेश: सरकारी स्कूलों के लिए संजीवनी साबित हो रहे हैं संजीव, बच्चों के बीच हो रहे हैं लोकप्रिय

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ऋषिकेश: इन दिनों सोशल मीडिया पर बिहार का सोनू खूब छाया हुआ है, जो सरकार की बधाई शिक्षा व्यवस्था से परेशान होकर अच्छी पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहा है. ऐसे में अगर हम अपने राज्य उत्तराखंड की बात करें तो यहां भी सरकारी स्कूलों की हालत ज्यादा अच्छी नहीं है. ऐसे में एक युवा नेता द्वारा अपने क्षेत्र के सभी सरकारी स्कूलों और इंटर कॉलेज की बदहाल अवस्था को सुधारा जा रहा है.

श्यामपुर जिला पंचायत सदस्य और बीजेपी के नेता संजीव चौहान द्वारा पिछले 1 वर्षों में 5 प्राथमिक विद्यालयों और एक इंटर कॉलेज का कायाकल्प किया गया है. जिसका उद्देश्य छात्र छात्रों को पढ़ने के लिए सुविधा युक्त स्थान मुहैया करवाना है . जिसमें सभी बच्चे बिना किसी परेशानी के शिक्षा प्राप्त कर सकें.

सरकारी स्कूलों और सौंदर्यकरण में खर्च हुई धनराशि



राजकीय प्राथमिक विद्यालय खदरी में खर्च किए 2,50000 रुपए.

राजकीय प्राथमिक विद्यालय भल्ला फार्म श्यामपुर में खर्च किए 2,50000 रुपए.

राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुमानीवाला बाईपास में खर्च किए तीन लाख रुपए.

राजकीय प्राथमिक विद्यालय भट्टोवाला में खर्च किए 2,50000 रुपए.

राजकीय प्राथमिक विद्यालय ठाकुरपुर में खर्च किए चार लाख रुपए.

राजकीय इंटर कॉलेज खदरी खड़क माफ में बालिका शौचालय बनाने के लिए पांच लाख और कॉलेज की मरम्मत के लिए पांच लाख रुपए खर्च किए गए.


जिला पंचायत सदस्य श्यामपुर संजीव चौहान कहते हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रहे बच्चे वोटर नहीं होते हैं, ऐसे में अधिकतर नेताओं का ध्यान उनकी तरफ नहीं जाता है. उन्होंने कहा कि वह भी सरकारी स्कूल में पढ़े हैं, ऐसे में वे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चे का दर्द समझते हैं.

ऐसे होगा सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों का कायाकल्प

उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि सरकार को सरकारी स्कूलों में इंग्लिश को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे वह बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों पढ़ रहे बच्चों के साथ कंप्लीट कर पाए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्लॉक स्तर पर प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बच्चों की अलग-अलग क्षेत्रों में प्रतियोगिता करवाई जाए, जिससे उनके भीतर जो टैलेंट है उसका पता लगाकर उसे निखारा जा सके.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्र में मौजूद सरकारी स्कूलों का कायाकल्प करने के लिए संकल्पित है. इसके लिए वे स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों एवं वहां पर पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों से भी बात करते हैं.

उन्होंने कहा कि जल्दी क्षेत्र के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के बीच एक क्विज प्रतियोगिता करवाई जाएगी. जिससे सरकारी स्कूलों के बच्चों के भीतर कंपटीशन और आगे बढ़ने की भावना पैदा होगी.

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