गैरसैंण में विधानसभा सत्र को लेकर मचा बवाल, कांग्रेस ने उत्तराखंड के तीन विधायकों पर भेजी लानत

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देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा सत्र के आयोजन को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है. इस बीच विधानसभा में विपक्षी दल द्वारा उत्तराखंड विधानसभा का आगामी सत्र प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में कराने को लेकर विवाद मच गया है.

गैरसैंण में सत्र न कराए जाने को लेकर 3 विधायकों ने प्रदेश सरकार को एक पत्र लिखा है. इसमें से कहा गया है सत्र देहरादून में ही आयोजित किया जाए.

पत्र में तर्क दिया गया है कि सर्दी का मौसम है. ऐसे में वहां निम्न वर्ग के कर्मचारियों को दिक्कतें आ सकती है. पत्र लिखने वाले विधायक ना तो सत्ताधारी दल के हैं और ना ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के. दो निर्दलीय विधायक है जबकि एक बसपा से.

इसको लेकर कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोला है कांग्रेस ने कहा है कि निर्दलीय और बसपा के विधायकों से जबरन पत्र लिखवाया जा रहा है और सूचना विभाग के तहत इसको बड़े पैमाने पर प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है. ताकि एक माहौल बनाया जा सके की सरकार गैरसैंण विरोधी नहीं है और देहरादून में सत्र आयोजित हो सके.

जाने कौन है यह तीन विधायक?

हरिद्वार के दो विधायकों ने शीतकालीन सत्र देहरादून में ही कराने का अनुरोध किया है। इनमें से एक हैं लक्सर के बसपा विधायक शहजाद और दूसरे हैं खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और यमुनोत्री विधा.क संजय डोभाल। दोनों ने मुख्यमंत्री को अलग-अलग पत्र लिखे हैं। बसपा विधायक ने लेटर में लिखा कि गैरसैंण विधानसभा भवन चोटी (टॉप) पर बना है। वहां ओलावृष्टि, बारिश व बर्फ गिरती है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र नवंबर या दिसंबर में प्रस्तावित है।

शीत ऋतु होने के कारण गैरसैंण में अधिक सर्दी होगी। इसलिए शीतकालीन सत्र देहरादून में ही आहूत करना उचित प्रतीत होगा। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने लिखा कि आम जनभावनाओं के दृष्टिगत विस का ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैंण में कराया जाना प्रस्तावित था, लेकिन यह सत्र देहरादून में हुआ। उन्होंने भी शीतकालीन सत्र देहरादून में कराने का अनुरोध किया है।

फिलहाल जिस तरह के हालात बने हुए हैं उसे देखते हुए शीतकालीन सत्र के देहरादून में होने के प्रबल आसार हैं। सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने सत्र की तैयारी को लेकर सर्वदलीय बैठक की थी। बैठक में विपक्ष ने गैरसैंण में सत्र आहूत करने का मसला उठाया था। स्पीकर ने इस सवाल को यह कहकर टाल दिया था कि सत्र की तिथि और स्थल के बारे में निर्णय प्रदेश सरकार को करना है। माना जा रहा है कि शीतकालीन सत्र 15 नवंबर या उसके बाद की किसी तिथि से शुरू हो सकता है।

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