देहरादून: उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थपुरोहितों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गई है. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है. खुद पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की घोषणा कर दी है.
देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों के विरोध के मद्देनजर उनकी शंकाओं के समाधान के लिए सरकार ने राज्य सभा के पूर्व सदस्य मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। बीते रोज समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
मुख्यमंत्री ने समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित की। समिति के अन्य सदस्यों में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व स्वामी यतीश्वरानंद शामिल किए गए। उपसमिति को दो दिन के भीतर संस्तुति सहित परीक्षण रिपोर्ट देने को कहा गया था।
सोमवार को उपसमिति की फिर बैठक हुई। जिसमें देवस्थानम बोर्ड को लेकर बनाई गई उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की ओर 89 पेजों की रिपोर्ट बनाकर दी गई है। रिपोर्ट का अध्ययन करने बाद ही यह निर्णय लिया गया.
देवस्थानम बोर्ड को लेकर पंडा समाज कर रहा था विरोध
28 नवंबर 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गढ़वाल मंडल के 51 मंदिरों को श्राइन बोर्ड की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड के अधीन कर दिया था। इस प्रस्ताव को कैबिनेट में भी पास कर दिया गया था। जिन मंदिरों को देवस्थानम बोर्ड के अधीन किया गया था, उनके पुुजारियों और हक हकूकधारियों का आरोप था कि उनके मंदिरों को बोर्ड के अधीन करने से उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। पुजारी और हक हकूकधारी लगातार देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे थे।
सरकार का तर्क था कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम समेत 51 मंदिर बोर्ड के अधीन आने से यात्री सुविधाओं के लिए अवस्थापना विकास होगा। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने भी जनभावनाओं के अनुरूप देवस्थानम बोर्ड निर्णय लेने की बात कही थी, लेकिन उनके कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड पर सरकार आगे नहीं बढ़ पाई।
नेतृत्व परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने की घोषणा की। जिसकी रिपोर्ट के बाद अंततः पिछले ढाई सालों से चले आ रहे विवादित देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया गया है।