ऋषिकेश: उत्तराखंड विधानसभा 2022 के चुनाव के लिए अब कम समय बचा है। चुनाव को देखते हुए ऋषिकेश में विधायक टिकट के प्रत्याशी अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। फिलहाल इस अंक में बात ऋषिकेश विधानसभा में कांग्रेस की।
ऋषिकेश विधानसभा में कांग्रेस के भीतर टिकट की दावेदारी के लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बनी हुई है। यही वजह है कि पार्टी के बीच जमकर गुटबाजी भी देखी जा रही है। हर कोई अपने आप को टिकट का दावेदार बताने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी पकड़ रखते हैं शूरवीर सिंह सजवान
टिकट की दौड़ में सबसे पहला नाम आता है पूर्व विधायक और पूर्व काबीना मंत्री शूरवीर सिंह सजवान का। 15 साल पहले ऋषिकेश विधानसभा के विधायक थे और नारायण दत्त तिवारी सरकार में सिंचाई मंत्री भी रहे। शूरवीर सिंह सजवान की ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। साथ ही कहा जाता है कि शूरवीर सिंह सजवान घर- घर से परिचित हैं।
वहीं उनके समर्थकों का मानना है कि अगर ऋषिकेश में तीन बार के विधायक प्रेमचंद अग्रवाल को कोई टक्कर दे सकता है तो वह शूरवीर सिंह सजवान ही हैं। हालांकि पिछली बार 2017 विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट ना देने से नाराज सजवान निर्दलीय ही देवप्रयाग विधानसभा सीट से लड़े थे, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ था। टिकट मिलने में यह बात इनके खिलाफ जा सकती है। वही ज्यादा उम्र का फैक्टर भी इनके सपनों के आड़े आ सकता है।
अभी नहीं तो फिर कभी नहीं- राजपाल खरोला
कांग्रेस में विधायक टिकट के दूसरे प्रबल दावेदार कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राजपाल खरोला माने जा रहे हैं। राजपाल खरोला ऋषिकेश विधानसभा से पिछले दो बार के विधायक प्रत्याशी भी रहे हैं, हालांकि वे दोनों बार चुनाव नहीं जीत पाए। लेकिन अब तीसरी बार भी राजपाल खरोला ‘अभी नहीं तो फिर कभी नहीं’ की सोच के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
राजपाल खरोला को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का खास बताया जाता है, तत्कालीन हरीश रावत सरकार में विधायक ना होते हुए भी राज्यपाल खरोला द्वारा कई सड़कों का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया था।
उनके विरोधियों का कहना है कि राजपाल को पार्टी दो बार टिकट दे चुकी है और वह दोनों बार पार्टी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरे। ऐसे में अगर अब तीसरी बार भी उनको टिकट दिया जाता है, तो पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा। वहीं उनके समर्थक मानते हैं कि हरीश रावत इतने बड़े नेता होते हुए भी दो बार हारे हैं, इस बार अगर उन्हें टिकट मिलता है तो कांग्रेस की जीत पक्की है।
24 घंटे अपनों के लिए खड़े रहते हैं जयेंद्र रमोला
वहीं ऋषिकेश में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी सदस्य जयेंद्र रमोला भी इस बार दावेदारी करने के मूड में नजर आ रहे हैं। वे 10 साल पहले नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि उस दौरान हार का सामना करना पड़ा था। खास बात है कि जयेंद्र रमोला युवा हैं और हर छोटे-बड़े मुद्दे पर वे कार्यकर्ताओं और जनता के साथ नजर आते हैं।
जयेंद्र रमोला पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी के खास बताए जाते हैं। उनके विरोधियों का कहना है कि जयेंद्र रमोला सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और पोस्टर बॉय बनने में ज्यादा यकीन रखते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि जयेंद्र ऐसे व्यक्ति हैं जो सभी के सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं और 24*7 फोन पर उपलब्ध रहते हैं। अगर इस बार ऋषिकेश में कांग्रेस युवा चेहरे पर विश्वास करती है, तो जयेंद्र रमोला बाजी मार सकते हैं।
खेमेबाजी से बचने के लिए विजय सारस्वत को मिल सकता है मौका
टिकट की इस दौड़ में कांग्रेस के पुराने एवं कद्दावर नेता विजय सारस्वत का भी नाम सामने आ रहा है। प्रदेश संगठन महामंत्री विजय सारस्वत की संगठन में मजबूत पकड़ बताई जाती है। वे काफी सुलझे हुए और शहर को सबसे ज्यादा समझने वाले नेताओं में से एक हैं। लेकिन धरातल और कार्यकर्ताओं पर इनकी पकड़ कमजोर दिखती है। हालांकि, चुनाव के दौरान गुटबाजी से बचने के लिए पार्टी आलाकमान इनको भी टिकट दे सकता है।
विजय पाल सिंह रावत ने भी पेश की है दावेदारी
इसके साथ ही कांग्रेस में विजय पाल सिंह रावत जैसे जमीन से जुड़े हुए पुराने और मेहनती नेता भी पार्टी आलाकमान को अपनी दावेदारी की इच्छा जता चुके हैं।
इन सभी दावेदारों के बीच अब देखना होगा कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ऋषिकेश में किस चेहरे पर यकीन करता है। इसके साथ ही यह बात तो तय मानी जा रही है कि ऋषिकेश में भाजपा विधायक के खिलाफ लोगों का गुस्सा चरम पर है। ऐसे में जिस भी प्रत्याशी को कांग्रेस का टिकट मिलता है, उसके जीतने की संभावना प्रबल मानी जा रही है।