ऋषिकेश: पिछले 2 सालों से त्रिवेणी घाट पर विवाद बना निर्माणाधीन जूता भवन आज रविवार सुबह करीब 6 बजे जेसीबी द्वारा तोड़ दिया गया। जहां एक तरफ ऋषिकेश नगर निगम मेयर अनीता ममगाईं ने इसे जनता की भावनाओं का सम्मान बताया। वहीं दूसरी ओर एमडीडीए के अधिकारी इस मामले में अब कानूनी कार्यवाही करने की बात कह रहे हैं।
एक तरफ देहरादून विकास प्राधिकरण उसे जूता घर बनाने की कवायद में जुटा था। वहीं बीते 5 तारीख को मेयर अनीता ममगाईं ने एक कार्यक्रम के दौरान एमडीडीए अधिकारियों को 2 दिन का समय देते हुए इस निर्माणाधीन जूता भवन को हटाने की चेतावनी दी थी।
दो दिन बीत जाने के बाद जब कुछ नहीं हुआ तो रविवार की सुबह विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में जूता घर के ऊपर दो जेसीबी चलाकर जूता घर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया।
मौके पर मौजूद गंगा सभा के कार्यकारी अध्यक्ष राहुल शर्मा, घाट रोड व्यापार सभा के अध्यक्ष पवन शर्मा, सर्वजनिक छठ पूजा समिति के सदस्य राज्यपाल ठाकुर ने इस निर्माण को श्रद्धालुओं की आस्था के विपरीत बताया। वहीं लोगों द्वारा आतिशबाजी कर खुशी भी जाहिर करते हुए मेयर का आभार जताया गया।
इस मौके पर ऋषिकेश नगर निगम मेयर अनीता ममगाईं ने कहा कि देहरादून विकास प्राधिकरण को बार बार कहने पर भी उस जूता घर को वहां से नहीं हटाया जा रहा था। इन्होंने यहां पर जूता घर बनाने से पहले नगर निगम से कोई एनओसी नहीं ली थी। यहां बना जूता घर ना सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा था, बल्कि गंगा दर्शन के लिए आने जाने वाले लोगों के लिए भी परेशानी का सबब बन रहा था। इसकी वजह से त्रिवेणी घाट के सौंदर्य में भी पलीता लग रहा है था।
मेयर ने कहा कि एमडीडीए द्वारा गलत जगह पर जूता घर बनाकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। इसका हर्जाना भी एमडीडीए को देना होगा। वहीं उन्होंने एमडीडीए पर भी त्रिवेणी घाट में हुए करीब ढाई करोड़ रुपए के कार्यों में भी गबन का आरोप लगाया। उसकी जांच कराने की भी बात उन्होंने कही।
एमडीडीए के सचिव हरवीर सिंह ने कहा कि विभाग की ओर से जूता घर का निर्माण कराया गया था। इसे तोड़े जाने से सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है। इस मामले में विभाग कानूनी कार्यवाही करेगा।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि त्रिवेणी घाट परिसर में हरिद्वार विकास प्राधिकरण द्वारा यहां एक गेट और जूता घर का निर्माण किया गया था। जिसका शिलान्यास 25-12-2018 के दिन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद्र अग्रवाल द्वारा किया गया था। लेकिन स्थानीय लोगों की आपत्तियों के बाद जनवरी 2020 में जूता घर के निर्माण कार्य को रोक दिया गया।
इसके बाद इसे जुलाई 2020 में मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिया गया था। जिसके बाद से अब तक निर्माणाधीन यह भवन जस का तस खड़ा है।
पहले प्राधिकरण के अधिकारी एक भवन बनाते हैं जिसमें जनता के पैसों की गाढ़ी कमाई लगाई जाती है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जहां यह जूता घर बनाया गया है, उसके ठीक पीछे मां दुर्गे का मंदिर भी है। नगर निगम सहित कई संस्थाओं एवं जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध करते हुए शासन एवं अधिकारियों से इसे यहां से हटाने का निवेदन भी किया था।