ऋषिकेश: हमारी सनातन परंपरा में शंख को भगवान का दर्जा दिया गया है. यही कारण है कि पौराणिक कथाओं में शंख का जिक्र भी सुनाई देता है. वहीं वैज्ञानिक शोध में भी शंख बजाने के कई फायदे सामने आए हैं. लेकिन आधुनिकता के इस दौर में शंख रखना और बजाना दोनों ही कम हो रहा है.
इसी को देखते हुए उत्तराखंड भगवा फोर्स उत्तराखंड द्वारा लोगों से अपील की गई कि वह 26 जुलाई से अपने घरों में सुबह और शाम शंखनाद करना शुरू करें. इसके बाद 26 जुलाई को करीब साढ़े चार सौ लोगों ने अपने घरों में शंखनाद किया और उसकी वीडियो भेजी. उसके बाद से ही लोग शंख बजाने एवं उसके वैज्ञानिक फायदे के प्रति जागरूक हो रहे हैं और लोगों को भी जागरूक कर रहे हैं.
भगवा फोर्स के उत्तराखंड अध्यक्ष त्रियंबक सेमवाल कहते हैं कि शंख का हमारे धर्म में बड़ा महत्तव होता है. शंख मुख्य रूप से एक समुद्री जीव का ढांचा होता है. पौराणिक रूप से शंख की उत्पत्ति समुद्र से मानी जाती है और कहीं कहीं पर इसको लक्ष्मी जी का भाई भी मानते हैं. कहते हैं जहाँ शंख होता है वहां लक्ष्मी जरूर होती हैं. मंगल कार्यों के अवसर पर और धार्मिक उत्सवों में भी इसको बजाना शुभ माना जाता है.
वैज्ञानिक रूप से शंख का क्या महत्व है?
वैज्ञानिकों के अनुसार शंख-ध्वनि से वातावरण मैं सकारात्मक ऊर्जा आती है.
शंख में थोडा सा चूने का पानी भरकर पीने से कैल्शियम की कमी दूर होती है.
शंख बजाने से ह्रदय रोग और फेफड़ों की बीमारियाँ होने की सम्भावना भी कम हो जाती है.
इससे वाणी दोष भी समाप्त होता है.