मुर्गी-अंडे बेच खाने वाले पशु चिकित्सक पर मेहरबान मंत्री रेखा आर्य

रेखा आर्य
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अविकल थपलियाल, वरिष्ठ पत्रकारअविकल थपलियाल

कोरोना संकट में भी दागी व विवादित अधिकारी खेल खेलने से बाज नहीं आ रहे हैं. उत्तराखंड की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य विभाग के ही एक दागी अधिकारी पर मेहरबान हो गयी है. सब कुछ बहुत ही गुपचुप तरीके से किया गया . इस अधिकारी को चमोली जिले के देवाल से हरिद्वार तैनाती (संबद्दीकरण, अटैचमेंट) के आदेश कर दिए हैं. यह आदेश 4 जून को किये गए.जबकि सरकार ने तबादला सत्र शून्य घोषित किया है.

इस पशु चिकित्सक पर गड़बड़ी करने के तमाम आरोप लगे हैं. तत्कालीन विभागीय सचिव मीनाक्षी सुंदरम भी जांच के आदेश दे चुके हैं. बावजूद इसके यह अधिकारी मंत्री रेखा आर्य की गुड बुक में शामिल है. इस अधिकारी पर सरकारी फार्म की मुर्गी-अंडे बेच पूरे ढाई लाख जमा नही करने. पशु बीमा की धनराशि में गोलमाल. एसबीआई का लोन डिफाल्टर. देवाल में तैनाती के दौरान 34 दिन बिना बताए गायब. इन सभी मामलों में विभागीय व शासन स्तर पर खूब पढ़ा लिखी हुई. फिर भी मंत्री रेखा आर्य जी को चर्चित डॉक्टर में तमाम खूबियां नजर आ रही हैं.

इन डॉक्टर सावन पंवार ने हरिद्वार जिले में तैनाती के दौरान 2018 में बहादराबाद पोल्ट्री फार्म के 647 मुर्गे-मुर्गियों व 5000 अंडे बेचे. इस बिक्री से मिले 2 लाख 14 हजार 100 रुपए सरकारी खजाने में जमा नही किये. मुर्गे व अंडे बेचे जाने के इस चर्चित मामले में विभाग ने 9 अगस्त 2018 से डॉक्टर पंवार को पत्रों के जरिये उक्त धनराशि राजकीय कोष में जमा करने के निर्देश दिए. लेकिन डॉक्टर पंवार ने सरकारी खजाने में पैसा जमा नही किया.

नतीजतन नौ महीने तक चले लम्बे पत्राचार के बाद 29 मई 2019 को देवाल में तैनात डॉक्टर पंवार का वेतन रोक दिया गया. डॉक्टर पंवार से वसूली की यह प्रक्रिया दो साल बाद अभी भी भूल भुलैया में चक्कर काट रही है. बहुत हील हुज्जत के बाद ढाई लाख में से आधी धनराशि सरकारी खजाने में जमा किये जाने की चर्चा है. शेष धनराशि अभी भी जमा नही की.

हरिद्वार से चमोली जिले के देवाल में तबादला होने के बाद डॉक्टर पंवार बिना बताए 34 दिन गायब हो गए. शासन ने बिना प्रार्थनापत्र दिए गैरहाजिर रहने पर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे.

इसके अलावा शासन ने 12 अक्टूबर 2018 को डॉक्टर पंवार पर जनपद हरिद्वार में पशु बीमा में धोखाधड़ी व 34 दिन तक अनुपस्थित रहने के आरोपों की जांच के लिए अपर निदेशक अशोक कुमार को नामित किया था. पंवार ने राजकीय पशु चिकित्सालय बहादराबाद में 2 पशुपालक के 10 पशुओं के बीमा प्रीमियम की धनराशि हड़प ली थी. इस मामले की भी शासन स्तर पर दंडात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया चल रही है.

बड़े खिलाड़ी डॉक्टर पंवार ने हरिद्वार जिले में तैनाती के दौरान बहादराबाद स्टेट की बैंक की शाखा से लोन लिया लेकिन क़िस्त नही चुकायी. यही नही पंवार ने बैंक को सूचना दिए बिना अपना खाता दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर दिया. 20 नवंबर2015 को बैंक ऋण अदायगी को लेकर विभाग को पत्र लिखा. हरिद्वार के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर एम एस नयाल ने 9 दिसम्बर 2015 को पत्र जारी कर पंवार को ढाई लाख के ऋण अदायगी के निर्देश भी दिए.

मुर्गे-मुर्गी-अंडे बेच कर पैसा हड़प जाने तक ही नही रुके डॉक्टर सावन पंवार. पशु बीमा की धनराशि में भी गोलमाल किया. बैंक के ऋण अदायगी में भी नोटिस मिला. डयूटी से गायब रहे वो अलग. विभाग से लेकर शासन स्तर तक कई मामलों में जांच जारी है. फिर भी राज्यमंत्री रेखा आर्य को अपने विभाग के इस दागी अधिकारी में कौन सी खूबी दिख रही है कि मात्र दो साल पहले चमोली जिले गए डॉक्टर पंवार को हरिद्वार बुलाने के आदेश कर दिए. इसी हरिद्वार जिले से पहाड़ी इलाके देवाल तक डॉक्टर पंवार ने गड़बड़ी की कथाएँ लिखी.

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