69000 शिक्षक भर्ती घोटाला: IPS सत्यार्थ का तबादला, योगी सरकार पर उठे सवाल

आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज
आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज
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उत्तरप्रदेश: पिछले दिनों उत्तरप्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती में पैसे लेकर नौकरी दिलाने वाले गिरोह का भांडाफोड़ किरने वाले आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का ट्रांसफर कर दिया गया है. अनिरुद्ध पंकज को फिलहाल प्रतीक्षा सूची में डाला गया है. उन्हें नई पोस्टिंग नहीं दी गई है. विपक्ष का कहना है कि आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ को भर्ती घोटाले की कलई खोलने के कारण सजा दी गई है.

सत्यार्थ अनिरुद्ध उत्तर प्रदेश कैडर के 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. इलाहाबाद एसएसपी के रूप में उनकी तैनाती अगस्त 2019 में की गई थी. पिछले हफ्ते इलाहाबाद पुलिस ने 11 लोगों को कथित शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया था. जिससे बाद बड़ा विवाद खड़ा हुआ था. जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें एक प्रतिष्ठित कारोबारी और नेता केएल पटेल भी शामिल है, जो इलाहाबाद में कई निजी शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं.

आईपीएस अधिकारी के तबादले पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, ‘इलाहाबाद के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध का ट्वीट देखकर आश्चर्य हुआ. जिस समय उन्होंने इतने बड़े घोटाले का खुलासा किया है, उनके जाने से जांच का नुकसान नहीं होना चाहिए. वजह जो भी है, ऐसे अफसरों को जनता का पूरा समर्थन मिलना चाहिए जो ईमानदारी से, निर्भय होकर अपना कर्तव्य निभाते हैं. आपको हमारी शुभकामनाएं. यह विश्वास है कि जहां भी आपकी ड्यूटी होगी वहां आप सच्चाई और प्रशासन की पारदर्शिता के लिए काम करेंगे.

आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ ने बीते 16 जून को ट्वीट कर अपने संदेश में कहा है, ‘इलाहाबाद के एसएसपी पद पर रहते हुए जनता ने जो प्यार और भरोसा दिया, मैं उसका सदैव आभारी रहूंगा. आपका यह भरोसा पुलिस पर सदैव बना रहे, यही कामना है. इलाहाबादवासियों को अशेष शुभकामनाएं.’

पूरा मामला

दिसंबर 2018 में योगी सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में 69000 असिस्टेंट टीचर्स की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली. करीब चार लाख अभ्यार्थियों ने लिखित परीक्षा में हिस्सा लिया. एक दिन बाद सरकार की तरफ से कट ऑफ मार्क्स का मानक तय कर दिया गया.

शिक्षक भर्ती की परीक्षा का पेपर 150 नंबर का था. परीक्षा में पास होने के लिए जनरल कैंडिडेट को 150 में से 97 (65%) और रिजर्व्ड कैटेगरी वालों को 150 में से 90 (60%) नंबर लाने थे. इन मानकों के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र हाई कोर्ट चले गए. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने शिक्षक भर्ती की कट ऑफ को जनरल के लिए 45 और रिजर्व्ड के लिए 40 फीसदी तय कर दिया.

22 मई, 2019 को योगी सरकार ने इसके खिलाफ डिविजन बेंच में अपील की. 3 मार्च 2020 तक ये सुनवाई चली. 6 मई, 2020 हाईकोर्ट की डिविजनल बेंच ने योगी सरकार को राहत देते हुए सरकार द्वारा तय किए गए पुराने कट ऑफ पर ही भर्ती कराने का आदेश दिया. इस बीच योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए काउंसलिंग शुरू कराई. कुछ अभ्यर्थी चार सवालों को गलत बताते हुए फिर कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाते हुए 12 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की. वहीं दूसरी ओर शिक्षा मित्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों की अपील पर 9 जून 2020 को शिक्षक भर्ती केस में सुनवाई करते हुए 69000 हजार पदों में से 37339 पदों को होल्ड करने का आदेश दे दिया. इधर प्रयागराज की स्थानीय मीडिया में परीक्षा में हुई धांधली से संबंधित खबरें छपने लगीं जिसके बाद टाॅपर समेत कई गिरफ्तारियां भी हुई.
अब सरकार ने इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी है.

टॉपर गिरफ्तार, नहीं पता राष्ट्रपति का नाम

इस मामले में प्रयागराज पुलिस ने राहुल सिंह नाम के व्यक्ति की ओर से मिली शिकायत के बाद बीते मंगलवार टाॅपर धर्मेंद्र पटेल समेत कईयों को गिफ्तार किया. इसमें एक स्कूल प्रबंधक भी शामिल है. धर्मेंद्र पटेल नामक अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती का टॉपर है वह प्रयागराज का रहने वाला है. उसके कुल 150 में से 142 अंक हैं लेकिन पुलिस की पूछताछ में वह भारत के राष्ट्रपति का नाम नहीं बता पाया.

प्रयागराज पुलिस के मुताबिक, ‘ये अभ्यर्थी 8 से 10 लाख रुपए देकर पास हुए हैं.’ अभियुक्तों की डायरी में दर्ज जानकारी के आधार पर पुलिस ने कई जगह छापेमारी की है. स्थानीय मीडिया से बातचीत में एएसपी केवी अशोक ने बताया, ‘डायरी में दर्ज नाम व रोल नंबर के आधार पर कई अभ्यर्थियों की तलाश की जा रही है. इसके पीछे पूरा सिंडिकेट हो सकता है.’

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