देहरादून: बर्मिंघम में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में बैडमिंटन के पुरुष एकल में स्वर्ण पदक जीत लक्ष्य सेन उत्तराखंड के दूसरे गोल्डन ब्वॉय बन गए. इससे पहले अंतिम बार 2006 में निशानेबाज जसपाल राणा ने गोल्ड अपने नाम किया था. उनकी इस जीत पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पर बधाई दी है.
भारतीय बैडमिंटन के नये सितारे लक्ष्य सेन अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. लक्ष्य सेन को बैडमिंटन की प्रतिभा विरासत में मिली है. दरअसल उनके दादा सीएल सेन को उत्तराखंड में बैडमिंटन को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है. यही नहीं लक्ष्य के पिता भी एथलीट रहे हैं. बताया जाता है कि लक्ष्य ने पिता डीके सेन की देखरेख में 4 साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. यहां लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी मनाई.
कॅामनवेल्थ गेम्स के आखिरी दिन 20 वर्षीय लक्ष्य सेन ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद कुछ ऐसा किया जिसने लोगों को पूर्व क्रिकेटर सौरव गांगली की याद दिला दी। दरअसल, लक्ष्य ने मलेसिया के यंग एनजे को 2-1 से हराने के बाद कुछ उसी अंदाज में जश्न मनाया जिसे साल 2002 में सौरव गांगुली ने नेटवेस्ट ट्राई सिरीज के फाइनल मुकाबले में इंग्लैड टीम को हराकर मनाया था।
जिस तरह सौरव गांगुली ने लॅार्डस के बॅालकोनी में खड़े होकर अपनी टी-शर्ट निकालकर अलग अंदाज में जश्न मनाया था उसी अंदाज में लक्ष्य ने भी मैच जीतकर टी-शर्ट निकालकर गोल्ड मेडल जीतने की खुशी मनाई। हालांकि लक्ष्य ने ना सिर्फ टी-शर्ट निकाला बल्कि उन्होंने अपनी रैकेट को भी दर्शकों की ओर उछाल दिया। यह लम्हां लक्ष्य और भारतीय बैडमिंटन के लिए हमेशा यादगार पल बन चुका है।