उत्तराखंड: विधानसभा में आया नया विधेयक, महिला सशक्तिकरण में निभाएगा महत्वपूर्ण योगदान

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देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार लगातार सरकारी सेवाओं में महिलाओं को आरक्षण देने की दिशा में कदम उठा रही है. इस कड़ी में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 प्रस्तुत किया. इसमें महिलाओं को सीधी भर्ती में 24 जुलाई 2006 तक 20% और इस अवधि के बाद 30% आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है.

दरअसल 30% महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर बीते कई समय से मांग उठ रही थी, चूंकि नैनीताल हाईकोर्ट ने महिला आरक्षण को निरस्त करने का फैसला सुनाया था जिसकी वजह से प्रदेश की महिलाओं में काफी वक्त से नाराजगी नजर आ रही थी.

इसे देखते हुए मंगलवार को सरकार ने सदन में महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण देने संबंधी विधेयक प्रस्तुत किया. इसमें कहा गया कि राज्याधीन सेवाओं में आरक्षित पदों पर महिला अभ्यर्थी उपलब्ध न होने पर उन पदों को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा, इसे सामान्य श्रेणी के प्रवीणता क्रम में आगे वाले योग्य पुरुष अभ्यर्थी से भरा जाएगा. इसमें यह भी व्यवस्था की गई है कि अगर इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यान्वित करने में किसी प्रकार की परेशानी आती है तो सरकार ऐसी व्यवस्था कर पाऐगी जो परेशानियों को दूर करने के लिए आवश्यक होगी.

वहीं इस विधानसभा सत्र के दौरान महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर विधेयक आने से अब पूरी तरह से राहत मातृशक्ति को मिल सकेगी और महिला सशक्तिकरण में भी बढ़ावा देखने को मिलेगा, इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि भाजपा सरकार मातृशक्ति को बढ़ावा देने में हमेशा तत्पर है.

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