देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लेकर धामी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कैबिनेट ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर समिति गठित करने का फैसला लिया है. पुष्कर सिंह धामी ने कहा- समान नागरिक संहिता को राज्य में लागू किया जाएगा. उत्तराखंड ऐसा करने वाला पहला राज्य होगा.
समान नागरिक संहिता का मतलब धर्म और वर्ग आदि से ऊपर उठकर पूरे देश में एक समान कानून लागू करने से है. कहने का अर्थ है कि देश में रहने वाले किसी भी धर्म, जाति और समुदाय के व्यक्ति के लिए एक समान कानून होना. दूसरे शब्दों में कहें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड एक धर्मनिरपेक्ष कानून की तरह है, जो सभी धर्म के लोगों के लिए समान है और किसी भी धर्म या जाति के पर्सलन लॉ से ऊपर है.
जिसके बाद शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो.
क्या होंगे फायदे?
समान संहिता लागू होने के बाद विवाह, विरासत और उत्तराधिकार सहित विभिन्न मुद्दों से संबंधित जटिल कानून सरल बन जाएंगे. जिसके परिणामस्वरूप समान नागरिक कानून सभी नागरिकों पर लागू होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि समान नागरिक संहिता को लागू किया जाता है, तो वर्तमान में मौजूद सभी व्यक्तिगत कानून समाप्त हो जाएंगे, जिससे उन कानूनों में मौजूद लैंगिक पक्षपात की समस्या से भी निपटा जा सकेगा.