उत्तराखंड: राज्य में बूढ़ी दिवाली मतलब इगास लोकपर्व की तैयारियां जोरो शोरों से शुरू हो गई हैं. इसे लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी छुट्टी का ऐलान कर दिया है. इगास पर छुट्टी के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है. बता दें कि यह प्रदेश में दूसरी बार होगा की जब लोकपर्व इगास बग्वाल को लेकर छुट्टी की घोषणा की गई है. इसे लेकर तैयारियां भी चल रहीं हैं.
इस बार इगास का यह लोकपर्व राज्य में 4 नवंबर को मनाया जा रहा है. शासन ने इस दिन सार्वजनिक छुट्टी देने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. बता दें कि 25 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने लोकपर्व इगास पर राजकीय अवकाश का ऐलान किया था.
इसे लेकर सीएम ने पहाड़ी भाषा में ट्वीट किया था कि ‘ आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला लोकपर्व ‘इगास’ हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च। ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम सै मने सको। हमारि नई पीढी भी हमारा पारंपरिक त्यौहारों से जुणि रौ, यु हमारु उद्देश्य च।’
जानें क्या है इगास बग्वाल
यह उत्तराखंड का लोकपर्व है, जिसे दिवाली के 11वें दिन यानी एकादशी को मानाया जाता है. कहा जाता है कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम 14 वर्ष का वनवास काट कर अयोध्या लौटे थे, तब लोगों ने घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था. वहीं गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के घर वापसी की जानकारी दीवाली के 11वें दिन कार्तिक शुक्ल एकादशी को पहुंची थी. इसकी वजह से ग्रामीणों द्वारा दीवाली के इस त्यौहार को एकादशी के दिन मनाने की मान्यता चली आ रही है.